Breaking News

GRID_STYLE

Grid

GRID_STYLE

Classic Header

FALSE
TRUE

Pages

Classic Header

{fbt_classic_header}

New Update :-

latest

Saahachary Vidhi | Associative Method | Hindi Teaching Method

साहचर्य विधि → यह वाचन शिक्षण की प्रमुख विधि है। → इस विधि का आविष्कार इटली की मारिया मॉटेंसरी ने किया।  → 'साहचर्य' का अर्थ है - न...

साहचर्य विधि
साहचर्य-विधि

→ यह वाचन शिक्षण की प्रमुख विधि है।
→ इस विधि का आविष्कार इटली की मारिया मॉटेंसरी ने किया। 
→ 'साहचर्य' का अर्थ है - नवीन ज्ञान को किसी वस्तु के साथ जोड़कर साहचर्य करवाना। 
→ इस विधि में अलग से व्याकरण शिक्षण की व्यवस्था नहीं होती है बल्कि भाषा के मौखिक कार्य में या पाठ्यपुस्तक पढ़ाते समय अथवा रचना कार्य कराते समय प्रासंगिक रूप से व्याकरण के नियमों का ज्ञान कराया जाता है।
→ इस विधि का लाभ यह है कि व्याकरण के नियमों को रखने की आवश्यकता नहीं पड़ती है।
→ इस विधि के समर्थक स्वतंत्र रूप से संस्कृत व्याकरण की शिक्षा देने के विरोधी है।
→ इस विधि में अनुवाद रचना, पाठ्यपुस्तक पढ़ाते समय प्रासंगिक रूप से संस्कृत व्याकरण का ज्ञान छात्रों को दिया जाता है।
→ इस विधि से व्याकरण नियमों की बार-बार आवृत्ति करनी पड़ती है।
→ इस विधि में व्याकरण नियमों का कोई क्रम नहीं रहता।
→ इस विधि का प्रयोग अक्षरों को पहचानने के लिए किया जाता है।
→ इस विधि का सबसे बड़ा लाभ यह है कि बालक धीरे-धीरे अभ्यास करते-करते अनेक शब्दों तथा गुणों का ज्ञान प्राप्त कर लेते हैं। इस विधि का प्रयोग केवल प्रारंभिक कक्षाओं में ही किया जाता है।
→ इस विधि में कई चित्र, कार्ड, वस्तुएँ जो बालकों के अनुभव की परिधि के भीतर हो, एक कक्ष में एकत्र कर ली जाती है।
→ दीवार पर टंगे चित्रों तथा कमरों में पड़े कार्डों के बीच बालक समानता स्थापित करता है।
→ साहचर्य विधि में बालकों के अनुभव परिधि में आने वाले चित्र तथा बोलने वाली वस्तुओं को एक कमरे में एकत्र कर लिया जाता है। इन वस्तुओं तथा चित्रों के नाम कारणों पर अंकित कर लिए जाते हैं।
अंकित किए गए गार्डों को परस्पर पर मिला दिया जाता है। 
→ इन वस्तुओं तथा चित्रों आदि के नाम कार्डों पर लिखे होते हैं। इन कार्डों को आपस में मिला दिया जाता है। बालक दीवार पर लटके चित्रों और कक्ष में पड़ी वस्तुओं को देखता है और उनके नाम कार्डों पर ढूँढने का प्रयास करता है।
→ इस अभ्यास के द्वारा बालक अनेक वर्गों व शब्दों से परिचय प्राप्त कर लेता है।

साहचर्य विधि के दोष 

• कुछ संज्ञाओं (भाववाचक) का ज्ञान संभव नहीं।
• केवल छोटी कक्षाओं तक ही सीमित है।