भाषा संसर्ग विधि → इस विधि को ' अव्याकृति विधि ' भी कहा जाता है। → लार्ड मैकाले इस विधि के समर्थक थे। उनके अनुसार बालक उस भाषा को श...
भाषा संसर्ग विधि
→ इस विधि को 'अव्याकृति विधि' भी कहा जाता है।
→ लार्ड मैकाले इस विधि के समर्थक थे। उनके अनुसार बालक उस भाषा को शीघ्र सीख जाता है जिसका व्याकरण उसने बाद में सीखा हो।
→ इस प्रणाली के अनुसार व्याकरण शिक्षा के सैद्धांतिक पक्ष पर विशेष बल दिया जाकर उसके व्यावहारिक पक्ष पर विशेष बल दिया जाता है।
→ बालक बिना व्याकरण के नियम जाने मातृभाषा का शुद्ध प्रयोग सीखते हैं। इसे प्रासंगिक विधि भी कहते हैं।
→ इस विधि के द्वारा छात्रों को व्याकरण नियमों का विधिवत व व्यवस्थित या नहीं हो पाता तथा इस विधि के द्वारा व्याकरण समझने में अधिक समय लगता है। मातृभाषा शिक्षण के लिए यह सर्वोत्तम विधि है।
→ इस विधि के अनुसार नियम व सिद्धांत पृथक् रूप से सिखाये बिना ही रचना तथा अभ्यास द्वारा व्याकरण का ज्ञान कराया जा सकता है।
→ प्राथमिक कक्षाओं में व्याकरण पढ़ाने की यह लाभदायक प्रणाली है।
→ इस प्रणाली के अनुसार बच्चों को ऐसे लेखकों की रचनाएँ पढ़ने के लिए दी जाए जिनका भाषा पर पूर्व अधिकार हो।
→ इस विधि में व्याकरण का सैद्धांतिक ज्ञान नहीं दिया जाता।
→ इस प्रणाली में व्याकरण के नियमों का ज्ञान कराए बिना भाषा के शुद्ध रूप का अनुकरण करने का अवसर प्रदान कर छात्रों को भाषा के शुद्ध रूप का प्रयोग करना सिखाया जाता है।
→ प्राथमिक स्तर पर बच्चों को व्यावहारिक व्याकरण का ज्ञान देने के लिए तो यह विधि उपयोगी है परंतु व्याकरण का तार्किक ज्ञान कराने के लिए अन्य विधियों की सहायता लेनी होगी।
दोष
- व्याकरण के नियमों का ज्ञान नहीं हो पाता। समय अधिक व्यय होता है।