सैनिक विधि → इस विधि को ' आर्मी मैथड़ ' कहा जाता था क्योंकि इसका प्रयोग द्वितीय विश्वयुद्ध के समय अमेरिकन सैनिकों को द्वितीय भाषा सि...
सैनिक विधि
→ इस विधि को 'आर्मी मैथड़' कहा जाता था क्योंकि इसका प्रयोग द्वितीय विश्वयुद्ध के समय अमेरिकन सैनिकों को द्वितीय भाषा सिखाने हेतु किया गया था।
→ यह विधि शब्दावली की जगह भाषा संघटना पर अधिक बल देती है। इसमें मौखिक कथनों या स्वाभाविक संवादों द्वारा द्वितीय भाषा का अभ्यास करवाया जाता है।
→ इसमें अध्यापक आदर्श प्रस्तुत करता है तथा छात्र अनुकरण कर अभ्यास द्वारा दक्षता प्राप्त करता है व आवश्यकता पड़ने पर उसका स्मरण कर व्यवहार में प्रयोग करता है। इसीलिए इस विधि को 'अनुकरण परिस्मरण विधि' भी कहा जाता है।
→ यह विधि भाषा के सैद्धान्तिक ज्ञान की जगह भाषायी कौशलों के अभ्यास पर अधिक बल देती है।
→ इस विधि में विद्यार्थियों को एक समूह में बैठाकर अध्यापक द्वितीय भाषा का संक्षिप्त संवाद बोलता है और उसका तब तक उच्चारण करवाता रहता है जब तक वह विद्यार्थियों को कंठस्थ न हो जाए। तत्पश्चात उसका मातृभाषा में अर्थ व व्याकरणिक ज्ञान प्रस्तुत किया जाता है।
→ द्वितीय भाषा को सुनकर बोलना सिखाने के कारण यह 'श्रव्य-भाष्य विधि' भी कहलाती है।
→ भाषा विशेषज्ञ व टेप रिकॉर्डर का प्रयोग शिक्षण कार्य में किया जाता है।
→ यह विधि 'प्रत्यक्ष विधि के दोषों का निवारण' काफी हद तक कर देती है।
दोष :- यह अमनोवैज्ञानिक व व्याकरण ज्ञान के लिए अनुपयुक्त विधि है।