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Hindi Teaching Method | REET Shikshan Vidhi Notes | Dwibhashi Vidhi

द्विभाषी पद्धति  इस विधि के प्रवर्तक प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक शिक्षाशास्त्री जिनका संबंध वेल्स देश से था, सी.जे.डोडसन माने जाते हैं। यह विधि म...

द्विभाषी पद्धति 


  • इस विधि के प्रवर्तक प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक शिक्षाशास्त्री जिनका संबंध वेल्स देश से था, सी.जे.डोडसन माने जाते हैं।
  • यह विधि मूल रूप से अंग्रेजी, फ्रेंच और जापानी भाषाओं को पढ़ाने के लिए काम में ली जाती है।
  • इस विधि में दो भाषाओं का प्रयोग समवाय (साथ-साथ) किए जाने के कारण इसे "द्विभाषी विधि" कहा जाता है।
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द्विभाषी विधि
  • इस विधि का प्रयोग छात्रों को अल्पकाल के लिए विदेशी भाषा सिखाने हेतु किया है।
  • इसमें बालक को मातृभाषा (Mother Tongue Language) और विदेशी भाषा (Foreigner Language) दोनों को संयुक्त रूप से प्रयोग में लेते विदेशी भाषा सिखायी जाती है।
  • यह विधि "व्याकरण अनुवाद विधि" तथा "प्रत्यक्ष विधि" दोनों को जोड़ने का कार्य करती है।
  • पर्यटन के क्षेत्र में यह विधि उपयोगी है।
  • इस विधि के अनुसार जब बालक भाषा-शिक्षण में मातृभाषा सीखता है तो शब्दों का प्रत्यक्षीकरण भी साथ-साथ करता चलता है। 
  • जैसे :- 'आम' का उदाहरण अंत‌ Take Mango के स्थान पर Take आम....
  • इस विधि में प्रत्येक शब्द का अनुवाद नहीं किया जाता है। पूरे वाक्य में केवल उन शब्दों का ही मातृभाषा में अनुवाद किया जाता है जिनको बालक मातृभाषा में जानता है । 
  • यह विधि व्याकरण-अनुवाद विधि और प्रत्यक्ष विधि दोनों के बीच सेतु का काम करती है।
  • यह हिंदी को वैश्विक स्वरूप प्रदान करने में उपयोगी विधि है।
  • यह समय, श्रम, ऊर्जा, प्रशिक्षित शिक्षक व सामग्री के अभाव में भी उपयोगी है।

दोष :-
  • मातृभाषा के समान शुद्ध शब्द बतलाना प्राय: असंभव
  • छात्र की चिंतन शक्ति नष्ट होती है।
  • पठन व लेखन कौशल का विकास नहीं हो पाता।