आगमन विधि → आगमन का अर्थ है उदाहरणों, अनुभवों तथा प्रयोगों से नियम का निर्धारण करना। → आगमन पद्धति तर्क की वह पद्धति है जिसमें बहुत-सी वैय...
आगमन विधि
→ आगमन का अर्थ है उदाहरणों, अनुभवों तथा प्रयोगों से नियम का निर्धारण करना।
→ आगमन पद्धति तर्क की वह पद्धति है जिसमें बहुत-सी वैयक्तिक घटनाओं के आधार पर कारणों व परिणामों में सामान्य संबंध स्थापित किया जाता है इसे अनुगमन विधि भी कहा जाता है।
आगमन विधि की परिभाषाएँ :-
जॉयसी - 'आगमन विशेष दृष्टांतों की सहायता से सामान्य नियमों को विधिपूर्वक प्राप्त करने की क्रिया है।"
यंग - "इस विधि में बालक विभिन्न स्थूल तथ्यों के आधार पर अपनी मानसिक शक्ति का प्रयोग करते हुए स्वयं किसी विशेष सिद्धांत, नियम अथवा सूत्र तक पहुँचता है।"
आगमन विधि के चार सोपान हैं :
1. विशिष्ट उदाहरणों का प्रस्तुतीकरण 2. निरीक्षण 3. नियमीकरण या सामान्यीकरण 4. परीक्षण व सत्यापन
→ यह विधि छोटी कक्षाओं में व्याकरण सिखाने के लिए सर्वाधिक उपयोगी है।
→ यह मनोवैज्ञानिक विधि है। स्वयं कार्य करने की प्रेरणा देती है।
→ उदाहरण के माध्यम से निर्मित अवधारणा अधिक स्थाई होती है।
→ बालक का आत्मविश्वास व आत्मनिर्भरता बढ़ती है।
आगमन विधि में प्रयुक्त शिक्षण-सूत्र :-
• प्रत्यक्ष से प्रमाण की ओर
• विशिष्ट से सामान्य की ओर
• ज्ञात से अज्ञात की ओर
• स्थूल से सूक्ष्म की ओर
• मूर्त से अमूर्त की ओर
• सरल से कठिन की बोर
• उदाहरण से नियम की ओर
• विश्लेषण से संश्लेषण की ओर
→ इस विधि में छात्र व अध्यापक दोनों ही क्रियाशील रहते हैं।
निगमन विधि
→ निगमन विधि का आधार दर्शनशास्त्र है। इसमें सामान्य नियम या सूत्र को सत्य मानकर उसे विशिष्ट उदाहरणों में लागू किया जाता है।
→ निगमन विधि का प्रयोग उच्च कक्षाओं में पाठ्यक्रम आसानी से निश्चित समय पर पूर्ण करने के लिए किया आता है।
निगमन विधि में प्रयुक्त शिक्षण सूत्र :-
• प्रमाण से प्रत्यक्ष की ओर
• सामान्य से विशिष्ट की ओर
• अज्ञात से ज्ञात की ओर
• सूक्ष्म से स्थल की ओर
• अमूर्त से मूर्त की ओर
• कठिन से सरल की ओर
• नियम से उदाहरण की ओर
• संश्लेषण से विश्लेषण की ओर
निगमन विधि के दोष :-
→ यह अमनोवैज्ञानिक विधि है। इसमें व्यावहारिक ज्ञान की अपेक्षा रटंत प्रणाली पर बल दिया जाता है।
→ यह ज्ञान अस्पष्ट और अस्थाई होता है।
→ इस विधि में शिक्षक सक्रिय और शिक्षार्थी निष्क्रिय रहता है।
→ बाल केन्द्रित न होकर केवल शिक्षक केन्द्रित।
→छोटी कक्षाओं के लिए अनुपयोगी।